परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने पर मित्र को पत्र लिखें।

चांदनी बिहार, मेरठ
12/3/20**

प्रिय मित्र सुरेश,

आज तुम्हारा पत्र मिला। तुमने उसमें लिखा था कि तुम 12वीं की परीक्षाओं में अनुत्तीर्ण हो गए हो। यह पढ़कर मुझे अत्यंत दुःख हुआ। ऐसे में तुम्हें कितना दुःख हुआ होगा, इसकी मैं कल्पना कर सकता हूं।

प्रिय मित्र! मैं जानता हूं कि तुमने कभी अपना समय व्यर्थ नहीं किया और तुम हमेशा अध्ययन में ही लगे रहे। इसलिए तुम इस असफलता का दोषी खुद को मत मानो। मैं जानता हूं तुम्हारी 12वीं की परीक्षाओं के दौरान तुम्हारे पिताजी की असामयिक मृत्यु, तुम्हारे बड़े भाई का व्यापार में नुकसान और माता जी का स्वास्थ्य बेहद ही खराब हो गया था। इस प्रकार की विपदाएं आने पर तुम्हारा अवश्य ही मन विचलित हो गया होगा। इसलिए शायद तुम अपनी परीक्षाओं में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए। उस दौरान तुमको अपना घर आदि भी संभालना पड़ा था। इसी कारण से तुम्हें अपनी परीक्षाओं में असफलता का मुंह देखने पड़े।

मित्र तुम्हें बता दूं कि यह जीवन संघर्षमय है। जहां तुम्हें दुःख और सुख दोनों से ही रूबरू होना पड़ता है। लेकिन जो लोग साहसी और मजबूत इरादों के होते हैं, वह कभी भी असफलताओं के आगे घुटने नहीं टेकते हैं और ना ही मार्ग में कहीं रुकते हैं।

तुम्हें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि किसी भी व्यक्ति के जीवन में सुख और दुख आते जाते रहते हैं। अर्थात् मनुष्य जीवन रथ के पहिए की तरह होता है, जिसकी दिशा में सदैव परिवर्तन होता रहता है। आज अगर तुम्हारे भाग्य ने तुम्हारा साथ नही दिया तो क्या हुआ, कल तुम्हारा भी अच्छा होगा।

मुझे पूर्णतया विश्वास है कि तुम उक्त असफलता से निराश होने के बजाय धैर्य और साहस के साथ अपना अध्ययन जारी रखोगे। जिसके बाद देखना ईश्वर भी तुम्हारी आगे बढ़ने में मदद अवश्य ही करेंगे।

तुम अपना ख्याल रखना।

तुम्हारा प्रिय मित्र,
राकेश,
गोरेगांव, मुंबई।

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