आप गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाने अपने दादा दादी के पास जाना चाहते हैं जो पुणे में रहते है 5 दिन की छुट्टी के लिए अपने प्रधानाचार्य को पत्र लिखिए।

सेवा में,
आदरणीय प्रधानाध्यापक जी,
सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज,
नैनीताल मार्ग, बरेली।

विषय- विद्यालय से पांच दिन के अवकाश हेतु पत्र।

महोदय,
सादर विनम्र निवेदन इस प्रकार हैं कि मैं तुषार जौहरी आपके विद्यालय के कक्षा नवम वर्ग (क) का छात्र हूं। मैं आपके विद्यालय में पिछले चार वर्षों से अध्ययनरत हूं। मेरे कक्षाध्यापक श्री मान संजीव तिवारी जी है। मैं सदैव आपके विद्यालय के मेधावी छात्रों में से एक रहा हूं। अपनी कक्षा में भी मैंने सदैव प्रथम स्थान प्राप्त किया है।
इसके अतिरिक्त, विद्यालय में मेरा स्वभाव किसी के प्रति निराशाजनक नहीं रहा है।
महोदय, आप जानते है कि दिनांक 12 सितंबर 20.. को संपूर्ण भारत वर्ष में गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जाएगा। मेरे लिए यह अत्यंत खास त्योहार होता है। चूंकि महाराष्ट्र में यह त्योहार अन्य स्थानों के मुताबिक बेहद धूमधाम से मनाया जाता है, इसीलिए यह त्योहार मैं अपने दादा जी व दादी जी के साथ पुणे में मनाता हूं। मेरे दादा- दादी जी का घर पुणे में ही स्थित है। हर वर्ष गणेश चतुर्थी के दिन उनके घर भगवान गणेश जी का विधि विधान पूर्वक स्वागत किया जाता है। मेरी दादी जी का कहना है कि भगवान गणेश जी की पूजा अर्चना करने से सभी कष्टों का निवारण होता है, धन – संपदा, बुद्धि, विवेक, आदि गुणों में वृद्धि होती है। हर वर्ष गणेश चतुर्थी के पर्व को अपने संपूर्ण परिवार सहित मनाने के लिए मैं, मेरी माता जी, पिता जी एवं बड़े भैया साथ मिलकर पुणे में दादा व दादी जी के घर जाते है। हमें साथ देखकर उन्हें भी बेहद प्रसन्नता होती है।
मैं गणेश चतुर्थी के पर्व का पूरी साल इंतजार करता हूं। क्योंकि मुझे दादा जी – दादी जी के साथ रह कर अत्यंत आनंद आता है। वह मेरे लिए नया पजामा कुर्ता बनवा कर रखते हैं। मेरे साथ साथ वह भी इस पल का इंतजार करते है कि गणेश चतुर्थी के पर्व पर हम सब उनसे मिले।
अतः मेरा आपसे अनुरोध है कि आप मुझे दिनांक 10 सितंबर से 14 सितंबर 20.. तक का अवकाश देने की कृपा करें। ताकि मैं हर्ष व उल्लास से यह पर्व अपने परिवार के साथ मना सकूं। अवकाश के पश्चात मैं आपको अपनी शिक्षा से संबंधित समस्त कार्य पूर्ण करने का वचन देता हूं।
इसके लिए मैं आपका सदा आभारी रहूंगा।
सधन्यवाद।

आपका आज्ञाकारी शिष्य,
तुषार जौहरी,
नवम, (क)।
दिनांक…..

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