सुझाव पत्र कैसे लिखें। सुझाव पत्र क्या है ?

सुझाव पत्र कैसे लिखें।

सुझाव पत्र वे पत्र होते हैं जिनका प्रयोग हम किसी मुख्य विषय पर सामने वाले व्यक्ति को सुझाव देने के लिए करते हैं।

# सुझाव पत्र क्यों लिखते हैं? :

सुझाव पत्र लिखने का मुख्य उद्देश्य अपने सुझाव को अन्य व्यक्ति तक पत्र के माध्यम से पहुंचाना है।

# सुझाव पत्र किसे लिखते हैं?

सुझाव पत्र सरकार से लेकर अपने सगे संबंधियों तक लिखा जा सकता है। यदि आप किसी सरकारी विभाग के अधिकारी को किसी विषय या नीति पर अपना सुझाव देना चाहते हैं तो औपचारिक पत्र के प्रारूप के अनुसार सुझाव पत्र लिखा जा सकता है। उदाहरण – मंत्री को पत्र, संपादक को पत्र आदि। इसके अतिरिक्त, यदि आप अपने किसी भाई, मित्रगण या किसी निजी सम्बन्धी को कोई सुझाव देना चाहते हैं तो अनौपचारिक पत्र के प्रारूप के अनुसार सुझाव पत्र लिखा जा सकता है। उदाहरण – भाई को उसके विषय चयन हेतु सुझाव पत्र, नौकरी के संबंध में सुझाव पत्र देना आदि।

# सुझाव पत्र कैसे लिखते हैं?

सुझाव पत्र लिखने के लिए सर्वप्रथम यह ध्यान रखना चाहिए कि आप किसे पत्र लिख रहे हैं। क्योंकि उसके अनुरूप ही आपको प्रारूप चुनना पड़ेगा। इसके अलावा आपको सुझाव पत्र लिखते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए।

  1. स्पष्टता तथा सरलता – सुझाव पत्र स्पष्ट रूप से लिखा जाना चाहिए। साथ ही सुझाव पत्र की भाषा को सरल रखना चाहिए। जिससे कि आपके सुझाव को आसानी से समझा जा सके।
  2. संक्षिप्त – सुझाव पत्रों का विषय संक्षिप्त रूप से लिखा जाना चाहिए। क्योंकि अनावश्यक कथन लिखने पर आपके सुझाव पर विशेष ध्यान नहीं दिया जाएगा।
  3. विषय- वस्तु – सुझाव पत्रों को लिखते समय पत्र की विषय वस्तु को भी शुरू से अंत तक निर्धारित करके लिखा जाना चाहिए
  4. प्रारूप – सुझाव पत्र लिखते समय यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आप किसे सुझाव पत्र लिख रहे हैं। तत्पश्चात् प्रारूप का चयन करके, उसके अनुसार पत्र लिखना चाहिए।

# सुझाव पत्र का उदाहरण

1. दूरदर्शन कार्यक्रमों में सुझाव देने हेतु डायरेक्टर जनरल को सुझाव पत्र लिखिए।

सेवा में,
जनरल डायरेक्टर,
दूरदर्शन केन्द्र,
दिल्ली।

विषय – दूरदर्शन कार्यक्रम के लिए सुझाव।

महोदय,
मेरा नाम सूरज चौधरी है। एवं मैं दूरदर्शन कार्यक्रमों का नियमित दर्शक हूं। इस पत्र के माध्यम से मैं आपका ध्यान दूरदर्शन के कार्यक्रमों की ओर आकर्षित करना चाहता हूं। दूरदर्शन के अधिकतर कार्यक्रम जैसे – चित्रहार, कृषि दर्शन, दिलदरिया आज भी लोगों के लिए उपयोगी तथा मनपसंद हैं। परंतु कुछ समय से देख रहा हूं कि दूरदर्शन पर प्रसारित कार्यक्रमों में युवा तथा बालक वर्ग से संबंधित कोई कार्यक्रम प्रसारित नहीं किए जा रहे है।

मान्यवर, युवा पीढ़ी के विकास के लिए जरूरी है कि उनसे सबंधित प्रेरणादायक, उत्साहवर्धक कार्यक्रमों का प्रसारण किया जाना चाहिए। इसके साथ ही सुबह के समय योग से संबधित कार्यक्रम आना शुरू होना चाहिए। बच्चों के लिए गणित तथा भाषा सिखाने वाले कार्यक्रम आने चाहिए। इस प्रकार दूरदर्शन का लाभ प्रत्येक वर्ग को मिल सकेगा।

उम्मीद करता हूं कि आप मेरे सुझाव से सहमत होंगे। व मेरी बातों को ध्यान में रखते हुए कार्यक्रम का प्रसारण करेंगे।
सधन्यवाद।

भवदीय,
सूरज चौधरी।
दिल्ली।
दिनांक……

2. वन्य जीव संरक्षण हेतु अपना सुझाव देते हुए वन्यजीव संरक्षण अधिकारी को पत्र लिखिए।

सेवा में,
श्रीमान वन्यजीव संरक्षण अधिकारी
गुजरात।

महोदय,
जैसा कि आप जानते हैं कि जीव जंतु पारिस्थितिकी जैव विविधता बनाए रखने में कितने सहायक है। ऐसे में इनकी सुरक्षा और अस्तित्व के बारे में सोचना प्रत्येक व्यक्ति का मूल कर्तव्य है। हालांकि भारत सरकार द्वारा वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 लागू करके जीव जंतु की अनेक प्रजातियां के संरक्षण की दिशा में कार्य किया जा रहा है। परन्तु इस दिशा में अभी और अधिक जागरूक होने की आवश्यकता है।

महोदय, पिछले काफी समय से कई सारे जीव जंतुओं की संख्या में कमी आई है। साथ ही कई प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं। ऐसे में यदि जल्दी कोई सख्त कदम नहीं उठाए गए, तब पारिस्थितिकी तंत्र को असंतुलित होने से कोई नहीं रोक पाएगा। यही कारण है कि भारत में जंगली जानवरों के शिकार पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और जंगलों को काटने पर भी जुर्माने का प्रबंध किया गया है। साथ ही जिन जगहों पर जीव जंतुओं के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है, उन्हें रेड जोन घोषित कर दिया गया है।

महोदय, मेरा विचार है कि वन्य जीवों के प्राणों और प्रजातियों को बचाने के लिए हमें कृत्रिम तरीकों से इनके प्रजजन को जल्द से जल्द बढ़ाना चाहिए। साथ ही इनकी तस्करी और व्यापार पर पूर्णतया रोक लगानी चाहिए, साथ ही इनके द्वारा तैयार किए गए उपभोग के पदार्थों के विकल्प अवश्य तलाशने चाहिए। वन्य जीवों का संरक्षण तभी संभव है, जब मानव सभ्यता के विकास के नाम पर इनका शोषण और अवैध तस्करी पर रोक लगाई जाएगी। ऐसे में हमें केवल अपनी आवश्यकता पूर्ति की ओर ध्यान ना देते हुए बल्कि वन्य जीवन के संरक्षण को लेकर भी जागरूक होना पड़ेगा। तभी हम पर्यावरण और परिस्तिथिकी तंत्र के संतुलन में अपना सहयोग दे सकेंगे।

आशा करता हूं कि मेरे द्वारा बताए गए उपरोक्त सुझाव आपको अवश्य ही महत्वपूर्ण लगेंगे।

इसी उम्मीद के साथ आपको धन्यवाद।

विचारक,
रमेश पंडित।।…..

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