देश में फैले सांप्रदायिक उन्माद के संबध में संपादक को पत्र लिखिए।

सेवा में,
संपादक जी,
दैनिक नव भारत टाइम्स,
बहादुरशाह जफर मार्ग, दिल्ली।

महोदय,
मैं आपके लोकप्रिय प्रतिष्ठित पत्र के माध्यम से देशवासियों का ध्यान देश में बढ़ते साम्प्रदायिक उन्माद और झगड़ों की ओर दिलाना चाहता हूं।

आज देश के उत्तरी भाग में विशेषकर उत्तर प्रदेश में साम्प्रदायिक झगड़ों ने बहुत ही विकराल रूप ले लिया हुआ। अलीगढ़ में तो विष की यह बेल सदा लहलाती ही रहती है। दो वर्ष पूर्व ईद के अवसर पर मुरादाबाद से इनकी जो ज्वालाएं उठी। उन्होंने कानपुर, लखनऊ, अमरोहा, रामपुर, बदायूं और राजधानी दिल्ली आदि नगरों को भी अपनी लपेट में ले लिया। ईद के दिन एक कल्पित घटना से पुलिस और तथाकथित अल्पसंख्यकों में झड़प के बाद से इसने विस्तार लेना आरंभ कर दिया। जिसमें सैकड़ों निरपराध लोगों के प्राण गए।

बच्चे अनाथ हुए और स्त्रियां विधवा हुई। लाखों की चल अचल संपत्ति की हानि हुई। इस बार भी मेरठ में एक छोटी सी बात को लेकर सांप्रदायिक उपद्रव आरंभ हो गए, जिस कारण वहां बहुत दिनों तक कर्फ्यू लगा रहा तथा अनेक व्यक्तियों को जीवन से हाथ धोना पड़ा।

इसके पीछे एक निश्चित षण्यंत्र काम कर रहा है। पहले जिस द्विराष्ट्र सिद्धांत के आधार पर भारत का विभाजन हुआ था। आज भी लोग उसे भूले नहीं। संप्रदाय विशेष के लोग अपने को सदा से विजेता मानते रहे और आज भी वही भाव उनके मानस में है। ऊपर जिन नगरों की चर्चा की गई है, उनको केंद्र बनाकर वहां वह पुन: एक अन्य पाकिस्तानी बनाने का स्वप्न ले रहे हैं। इसके लिए पाकिस्तानी गुप्तचरों और अरब देशों से प्राप्त धन का उन्हें पूरा लाभ मिल रहा है।

अत: देश के समस्त नागरिकों का कर्तव्य है कि वे सांप्रदायिक अफवाहों से सावधान रहें और सरकार तथा उसके दल के उच्च पदस्थ अधिकारियों को भी वास्तविकता से आंखें न मूंदने के लिए कहें।

धन्यवाद,

भवदीय,
विष्णु गुप्ता।

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