दिल्ली में प्राप्त सुविधाओं और असुविधाओं का परिचय देते हुए मित्र को पत्र लिखिए।

आदर्श नगर, नई दिल्ली

दिनांक- 14/03/20…

प्रिय मित्र राजेश,

सादर नमस्कार।

मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि तुमने वार्षिक परीक्षा के पश्चात् दिल्ली आने का विचार किया है। साथ ही तुमने यह भी लिखा है कि मैं तुम्हें दिल्ली में प्राप्त सुविधाओं और असुविधाओं से परिचित कराऊं।

मित्र, दिल्ली भारत की राजधानी है। इस कारण इस नगर में अनेक सुविधाएं भी हैं, वैसे पर्य़टन के लिए उद्यान, पुरातन स्मारक, धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल, मनोरंजन के लिए नाट्य गृह और छवि गृह, भोजन के लिए बढ़िया शानदार होटल, खरीददारी के लिए सब प्रकार की वस्तुओं के एक से एक बढ़कर बाजार और दुकानें और जेब में खूब पैसे हों तो यातायात के साधन भी। इसी प्रकार यहां लोगों को जीविका के लिए छोटे-बड़े साधन भी मिल ही जाते हैं। शिक्षा के लिए विद्यालयों, महाविद्यालयों की भी कमी नहीं।

किन्तु इन सुविधाओं के साथ ही यहां असुविधाएं भी कम नहीं। एक तो यह कि यहां विभिन्न स्थानों की बस्तियां की दूरी बहुत है, मकानों की कमी से आवास की बड़ी समस्या है। यातायात के महंगे साधन टैक्सी या स्कूटर का उपयोग बहुत धनी लोग ही कर सकते हैं। हम जैसे निम्न मध्यम वर्ग या मध्यम वर्ग के लोगों का यातायात का साधन तो बसें ही हैं। पर यहां बसों की व्यवस्था बड़ी ही बिगड़ी हुई है। उनमें भीड़ तो बहुत होती है, पर कभी कभी आधे घन्टे तक बस नहीं मिलती। फिर चालक उनको नियत स्थान पर भी खड़ी नहीं करते। इसी प्रकार राजधानी होते हुए भी यहां बिजली की आंख मिचौली ही रहती है।

दिन में तो व्यक्ति उसे झेल भी ले, पर रात्रि की स्थिति बड़ी विकट हो जाती है। बिजली के समान ही पानी का संकट भी यहां के निवासियों और आने वाले यात्रियों दोनों के लिए कष्टदायक है। नहाने की कौन कहे, कभी कभी तो कई कई घण्टे पीने के पानी के लिए भी लोग तरस जाते हैं। फिर सामान्य गृहस्थियों को ईधन, राशन, साग सब्जी आदि के लिए भी अनेक कठिनाईयों सहनी पड़ती हैं। कुछ आवश्यक वस्तुओं के लिए तो व्यक्तियों को कभी कभी पंक्ति में लगकर अपने कार्यालय या छात्रों को विद्यालय से छुट्टी लेनी पड़ जाती है।

फिर भी दिल्ली तो दिल्ली है। आओ, तुम्हारा स्वागत है। दिल्ली आकर यहां के कड़वे मीठे अनुभव स्वयं प्राप्त कर लोगे।

तुम्हारा स्वागत है मेरे दोस्त।

तुम्हारा मित्र,
दीपक

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