अपने भाई के स्वास्थ्य की चिंता करते हुए उसे एक पत्र लिखिए।

अशोक नगर,

गजियाबाद

प्रिय भाई सुनील,

शुभाशीर्वाद।

एक पत्र मैंने तुम्हारे लिए कल भेजा था। आज दूसरे ही दिन अन्य पत्र भेजने का कारण है। आज ही मुझे तुम्हारे अभिन्न मित्र अनुपम से पता चला है कि तुम किताबी कीड़े बनते जा रहे हो औऱ अपने खाने पीने व रहने सहने के ढंग की ओऱ जरा भी ध्यान नहीं देते। इसी कारण तुम अस्वस्थ भी रहने लगे हो।

प्रियवर, यह ठीक है कि परीक्षाएं सिर पर हैं औऱ कक्षा में अच्छे विद्यार्थियों में तुम्हारा नाम बना रहना आवश्यक है, किन्तु यदि परीक्षा के दिनों में तुम्हारे स्वास्थ्य ने तुम्हारा साथ न दिया तो क्या होगा। अत: तुम्हें पढ़ाई के साथ-साथ अपने स्वास्थ्य की ओर ध्यान देना चाहिए।

इसके लिए तुम नियमित रूप से प्रात:काल खुले स्थान में किसी बाग या खेत में भ्रमण के लिए निकल जाया करो। इस भ्रमण औऱ हल्के व्यायाम से तुम्हारी शारीरिक औऱ मानसिक थकावट दूर होगी, तुम्हारा स्वास्थ्य ठीक रहेगा औऱ पढ़ने में और अधिक मन लगेगा, स्वच्छ हवा से शरीर के पुर्जे सुचारू रूप से कार्य़ करेंगे, बीमारी पास न भटकेगी।

एक विद्यार्थी के लिए पढ़ाई का जितना महत्व है, उतना ही महत्व व्यायाम का भी है। स्वस्थ शरीर में ही विचारों की उत्पत्ति होती है। सुगंधित शरीर का भी उतना ही महत्व है जितना कुशाग बुद्धि का।

आशा है कि तुम मेरे उपयुक्त कथन के महत्व को समझोगे और कल से ही उस पर आचरण करना आंरभ कर दोगे। क्योंकि तुम्हें अपने भविष्य में एक सफल व्यक्ति बनना है। जिसके लिए तुम्हें अभी से खुद के स्वास्थ्य औऱ भविष्य निर्माण पर ध्यान देना होगा। मैं चाहता हूं कि तुम बचपन से लेकर अब तक हर कक्षा में प्रथम आए हो। ऐसे में आगे भी तुम इसी तरह से घर परिवार औऱ अपना नाम रोशन करना।

पूज्य माता दी व पिता जी तुम्हें आशीर्वाद कहते हैं।

तुम्हारा बड़ा भाई,

सुरेश

रामनगर, कानपुर।

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