CH- 12
राजेन्द्र नगर,
लखनऊ।
दिनांक….
आदरणीय चाचा जी,
सादर नमन।
प्रिय चाचा जी,
आशा करता हूं कि आप व चाची जी सकुशल होंगे। मुझे पत्र लिखते हुए बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही है। गत दिन मेरे जन्मदिन के अवसर पर मुझे आपका पत्र प्राप्त हुआ। मेरे जन्मदिन पर आपने मुझे जो ₹4000 रुपए उपहार स्वरूप दिए उसके लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। मुझे पूरा विश्वास था कि आप मेरे जन्मदिन के अवसर पर मुझे अवश्य ही खत लिखेंगे व साथ ही उपहार भी भेजेंगे। परंतु इस प्रकार के उपहार की मैंने कामना नहीं की थी। मेरे जन्मदिन के अवसर पर मुझे जितने भी उपहार प्राप्त हुए उनमें से आपका उपहार सबसे उपयोगी है। मैं आपके उपहार स्वरूप दिए गए रुपए का प्रयोग अपनी इच्छा अनुसार अपने विशेष कार्यों में कर सकता हूं।
आप जानते हैं? कुछ समय से मेरी फोटोग्राफरी में अत्यंत रुचि बढ़ने लगी है। मेरे पास एक अच्छा कैमरा ना होने के कारण मैं अक्सर अपने मित्र अशोक से उसका कैमरा मांगकर कई तस्वीरे निकालता हूं। परंतु वह कई बार अपना कैमरा मुझे देने में कतराता है, क्योंकि उसका कैमरा अधिक मंहगा है। यदि वह मुझसे खराब हो गया तो मैं उसका भुगतान करने में समर्थ नहीं हूं। इसी कारण मैं काफी दिनों से एक सस्ता व अच्छा कैमरा खरीदना चाहता था। मैंने इसके लिए कुछ रुपए भी जमा करना शुरू कर दिए। लेकिन एक सस्ते कैमरे की कीमत भी 3000 या 4000 रुपए से कम नहीं होती है। मेरे पास कैमरा खरीदने के लिए आधे रुपए भी जमा करना मुश्किल हो गया।
हॉस्टल में रहने के कारण घर से जो रुपए मिलते है वह फीस व किराए में खर्च हो जाते है। ऐसे में कैमरे के लिए रुपए जमा करना कठिन था। परंतु आपके द्वारा मुझे जो उपहार मिला है उन रुपए से मैं एक अच्छा कैमरा खरीद सकूंगा। मैं अपने पढ़ाई के पश्चात अतिरिक्त समय में कैमरे का प्रयोग करके अपनी इस रुचि को और अधिक गुणवान बनाने का प्रयास करूंगा।
प्रिय चाचा जी, मुझे उम्मीद है कि आप मेरे इस निर्णय से प्रसन्न होंगे। मैं आपके उपहार स्वरूप दिए गए रुपए का उचित प्रयोग कर रहा हूं। यह कैमरा सदैव आपका स्मरण कराता रहेगा। आज आपके कारण ही मैं अपनी पसंद की वस्तु खरीद सकूंगा। मैं पुनः आपका हृदय से आभार मानता हूं। व आपके शुभमंगल की कामना करता हूं।
सधन्यवाद।
आपका स्नेही,
अजय,
पूरनपुर।