शोक पत्र कैसे लिखें? शोक पत्र क्या होता है ?

शोक पत्र कैसे लिखें ?

शोक पत्र ऐसे पत्र होते हो जो किसी व्यक्ति के दुःख के समय में लिखे जाते हैं। यह अनौपचारिक पत्रों का ही एक हिस्सा है। शोक संबंधी पत्र लिखते समय भाषा तथा विषय वस्तु पर विशेष ध्यान देना चाहिए।

शोक पत्र क्यों लिखते हैं…?

जब सामने वाले पर दुःखों का पहाड़ टूट पड़े अथवा जीवन में कोई दुखद विपदा आ जाएं। तब दुःख की उस घड़ी में शोक/ संवेदना/ सहानुभूति पत्र लिखा जाता है। जिसका उद्देश्य दुःख से पीड़ित व्यक्ति को सहानुभूति देना होता है। ये पत्र व्यक्ति को दुखद परिस्थिति से उबरने तथा हिम्मत बांधने के प्रति सहायक होते हैं।

शोक पत्र किसे लिखते हैं…?

शोक पत्र अपने किसी निकट भाई- बंधु, मित्र, रिश्तेदारों तथा आत्मीय रूप से जुड़े लोगों के दुखद अथवा विपदा के समय में लिखें जाते हैं। इसके अतिरिक्त यदि स्वयं पर कोई विपदा आती है या कोई दुःख, शोक संबंधी परेशानी आ जाती है ऐसे में भी शोक पत्र संदेश लिखा जाता है। जैसे – किसी मित्र के पिता जी की मृत्यु हो जाने पर शोक संदेश, बाढ़ आ जाने पर आने वाली विपदा से उबरने हेतु पत्र इत्यादि।

शोक पत्र कैसे लिखें जाते हैं…?

शोक पत्र लिखते समय निम्नलिखित बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

  1. भाषा – शोक पत्रों में भाषा- शैली का विशेष महत्व होता है। इसलिए इन पत्रों की भाषा अत्यंत हृदयस्पर्शी, सहानुभूति तथा आत्मीय भाव से लिखी जानी चाहिए।
  2. संक्षेप – शोक संबंधी पत्र सदैव संक्षेप में लिखे जाने चाहिए। इन पत्रों में अनावश्यक कथन लिखने की कोई आवश्यकता नहीं होती है।
  3. गंभीरता – इन पत्रों की विषय वस्तु गंभीर होनी चाहिए।
  4. सहायता का प्रस्ताव – इन पत्रों के अन्तर्गत दुःख से पीड़ित व्यक्ति को सहानुभूति देने हेतु सहायता का प्रस्ताव रखें। साथ ही यह स्पष्ट करें कि आप उनके साथ हैं।
  5. संबोधन – जिस भी व्यक्ति को शोक पत्र लिखा जा रहा है, उसकी आयु के अनुरूप संबोधन शब्द लिखे जाने चाहिए। बड़ों के लिए – श्रीमान, आदरणीय आदि तथा छोटों के लिए- प्रिय इत्यादि।
  6. अंतिम वाक्य – पत्र के अंत में सहानुभूति वाक्य अथवा शब्दों का प्रयोग किया जाना चाहिए। जैसे- ‘तुम्हारा शोकाकुल मित्र’, ‘मेरी हार्दिक सहानुभूति’ इत्यादि।

शोक पत्र का उदाहरण -

शोक पत्र कैसे लिखें? शोक पत्र क्या होता है ?

# अपने मित्र की माता जी के आकस्मिक निधन पर शोक संदेश लिखिए। (शोक पत्र)

Ch- 59A,
रिहाना एन्क्लेव,
रूद्र नगर,
झांसी।

दिनांक……

परम प्रिय मित्र,
अर्जुन,
सप्रेम नमस्कार।

मुझे माता जी की आकस्मिक निधन की सूचना पाकर अत्यंत दुःख हुआ। मुझे विश्वास नहीं हो पा रहा है कि अत्यंत दयालु तथा ममतास्पर्शी माता जी हमें छोड़कर चली गई हैं। मैं तुम्हारी परिस्थिति को समझ सकता हूं। यह क्षण तुम्हारे लिए अत्यंत कठिन है।

मित्र, इस जीवन का वास्तविक अर्थ जन्म व मृत्यु है। जिस मनुष्य ने इस धरती पर जन्म दिया है उसकी मृत्यु निश्चित है। माता जी की मृत्यु अपूरणीय क्षति है। हमें अत्यंत दुख है कि आज माताजी का स्नेह पूर्ण हाथ हमारे सर पर नहीं रहा। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं, वे माता जी की आत्मा को शांति प्रदान करें।

ईश्वर! तुम्हारे जीवन में आने वाली इस दुखद परिस्थिति से निकलने की शक्ति प्रदान करें। मेरी सहानुभूति सदैव तुम्हारे साथ है।

तुम्हारा शोकाकुल मित्र,
संजीव।

उम्मीद हैं कि उपर्युक्त लेख के माध्यम से आपको शोक पत्र क्यों लिखे जाते हैं, किसी लिखे जाते हैं एवं कैसे लिखे जाते हैं? संबंधित प्रश्नों के उत्तर अवश्य प्राप्त हो गए होंगे। उपरोक्त जानकारी से आप एक स्पष्ट तथा गंभीर शोक पत्र तैयार कर सकते हैं। ‌

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