शिकायती पत्र (shikayati patra)
शिकायती पत्र या अंग्रेजी में complaint letter in hindi एक ऐसा पत्र होता है। जिसके अन्तर्गत कोई व्यक्ति पत्र के माध्यम से सामने वालो व्यक्ति के समक्ष शिकायत करता है। यह पत्र अधिकतर अनौपचारिक पत्रों की श्रेणी में रखे जाते हैं।
शिकायती पत्र क्यों लिखते हैं?
शिकायती पत्र लिखने का उद्देश्य किसी निश्चित विषय पर शिकायत करना होता है। किसी अधिकारी को, विभाग के प्रबंधक को आदि उच्च अथवा निम्न स्तर दोनों की वर्गों में किसी शिकायत को प्रकट करने के लिए शिकायती पत्र लिखा जाता है।
शिकायती पत्र किसको लिखते हैं?
शिकायती पत्र(complaint letter) किसी कार्यालय, जिला अधिकारी के समक्ष, स्वास्थ्य मंत्रालय, नगर पालिका, पार्षद, विद्यालय के प्रधानाचार्य आदि को किसी विषय पर शिकायत करने के लिए लिखा जाता है। शिकायती पत्र लिखने के निम्न विषय हो सकते हैं जैसे – पेयजल आपूर्ति, सफाई अव्यवस्था आदि की शिकायत के लिए जिला अधिकारी को पत्र लिखना। मरीजों को उचित इलाज ना किए जाने पर स्वास्थ्य मंत्री को या जिला अस्पताल के अधिकारी को पत्र लिखना इत्यादि।
शिकायती पत्र कैसे लिखते हैं?
उल्लेखनीय है शिकायती पत्र तब लिखा जाता है जब आप किसी को किसी संबंधित विषय पर शिकायत की सूचना दे रहे होते है। साधारणतः ये पत्र सामान्य औपचारिक प्रारूप के अनुसार ही लिखे जाते हैं। लेकिन एक शिकायती पत्र होने के बाबजूद इन पत्रों को विनम्र भाषा में लिखना आवश्यक होता है।
पत्र लिखते समय ध्यान देने योग्य बातें –
- स्पष्ट – शिकायती पत्र जिस संबंधित विषय के लिए लिखा जा रहा है। उस विषय को स्पष्ट रखना आवश्यक होता है।
- संक्षिप्त – शिकायती पत्र का मुख्य विषय अत्यधिक विस्तार की अपेक्षा संक्षिप्त रखा जाना चाहिए। अनावश्यक बातों को नहीं लिखना चाहिए।
- स्वच्छ – शिकायती पत्र जिसे भी लिखे जाने से पहले यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आप जिस कागज पर पत्र लिख रहे है वह स्वच्छ अर्थात कही से कटा फटा ना हो, गंदा ना हो।
- प्रारूप – शिकायती पत्र का प्रारूप मुख्यत औपचारिक पत्रों की भांति ही रहता है। जिसमें सेवा में, शब्द लिखा जाता है। उसके बाद संबोधन शब्दों का प्रयोग होता है। शिकायती पत्र के मुख्य विषय की शुरुआत से पहले मान्यवर का या फिर महोदय जैसे शब्दों का प्रयोग किया जाता है।