मकान नंबर 170,
निर्भय कॉलोनी,
डी- ब्लॉक,
लखनऊ।
दिनांक….
प्रिय मित्र दीपक,
अभिनन्दन।
आशा करता हूं कि तुम व तुम्हारे परिवार के समस्त सदस्य सकुशल होंगे। गत दो माह से मुझे तुम्हारा एक भी पत्र प्राप्त ना हो सका। बारहवीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात, मैं कलकत्ता अपने मामाजी के पास आगे की पढ़ाई करने के लिए चला गया। जिस कारण पिछले वर्ष के अंत से अभी तक हम एक दूसरे से मिल भी नहीं सके है। तुम मेरे विद्यालय के सबसे घनिष्ट मित्र हो। हम सदैव अपनी मित्रता के लिए विद्यालय में जाने जाते थे। इस वर्ष मेरे स्नातक प्रथम वर्ष की परीक्षाएं समाप्त हो चुकी है, मामा जी के घर से मैं अपने घर गत दिन पहले ही वापस आ गया था। मुझे उम्मीद है तुम्हारी भी परीक्षाओं का अंतिम चरण शुरू हो चुका होगा। परीक्षाओं के पश्चात तुम्हारे अवकाश के दिनों में, मैं तुम्हें अपने घर बुलाने का आमंत्रण दे रहा हूं। मेरे साथ साथ परिवार के अन्य सदस्य भी तुमसे मिलने के लिए अत्यंत इच्छुक हैं। मुझे विश्वास है कि तुम मेरे घर मुझसे मिलने के लिए अवश्य आओगे। जब तुम यहां आओगे तब मैं तुम्हें अपने दादा जी के सुंदर बाग दिखाऊंगा, जहां पर आम, अमरूद, कटहल, चीकू व अन्य कई प्रकार के फल तथा सब्जियों के ऊंचे ऊंचे पेड़ लगे हुए हैं।
मित्र, मैंने तुम्हारे द्वारा दिए गए समस्त उपहार अपने पास यादों के तौर पर संभाल कर रखे है। तुम्हारे आने पर पुनः उन्हें देखकर हमें अपनी पुरानी यादें ताज़ा करने का अवसर प्राप्त होगा। विद्यालय के अन्य मित्र भी हम दोनों से मिलने के लिए बेहद उत्सुक है। तुम्हारे यहां आने के बाद हमें अपने अन्य मित्रों से भी भेंट का मौका मिल पाएंगा।
इसके अतिरिक्त, हम अपने विद्यालय के शिक्षकों का आशीर्वाद लेने के लिए उनके घर जाने का विचार बनाएंगे। हमें देखकर वे भी अत्यंत प्रसन्न होंगे।
जब तुम मुझसे मिलने के लिए आओंगे तो अपने माता पिता से मेरे घर एक माह तक की रहने की अनुमति लेकर आना।
मुझे विश्वास है कि तुम मेरे इस आग्रह को अवश्य स्वीकार करोंगे।
तुम्हारा घनिष्ट मित्र,
अतुल।
धर्मदत्त कॉलोनी
शालीन नगर,
गोरखपुर।