पत्र-पत्रिकाओं में छपने वाले भ्रामक विज्ञापनों की शिकायत हेतु प्रतिष्ठित समाचार-पत्र के सम्पादक को पत्र लिखिए।

सेवा में,
संपादक महोदय,
दैनिक जागरण समाचार,
मुख्य कार्यालय,
नई दिल्ली।

विषय- पत्र- पत्रिकाओं में छपने वाले भ्रामक विज्ञापनों की शिकायत हेतु।

महोदय,
मैं नीरज तिवारी आपके प्रतिष्ठित समाचार पत्र के माध्यम से जनता व सरकार तक यह सूचना प्रेषित करना चाहता हूं कि पत्र- पत्रिकाओं में छपने वाले विज्ञापनों में कई विज्ञापन ऐसे छापे जा रहे है जो कि आज की युवा पीढ़ी को भ्रमित कर रहे है। समस्त पत्र व पत्रिकाओं में विभिन्न तरीकों के विज्ञापनों को छापा जाता है। लेकिन इन विज्ञापनों का उचित तथा ज्ञानवर्धक होना भी आवश्यक है। चूंकि पत्र- पत्रिकाओं को ना केवल बड़े लोगों द्वारा साथ ही छोटे बच्चों द्वारा भी खेलकूद सम्बन्धी, कहानी सम्बन्धी, हंसमुख आदि पत्रिकाओं को भी पढ़ा जाता है। जिस कारण यदि वह अनुचित विज्ञापनों को पढ़ेंगे तो उनके विचारों पर गलत प्रभाव पड़ना निश्चित है।
किसी भी विषय से संबंधित विज्ञापन छापने का मुख्य उद्देश्य जनता में उस विषय के प्रति जानकारी प्रदान करना होता है। ताकि वह उसके गुण व अवगुण को जानकर उसका प्रयोग करें। परंतु कुछ नवीन प्रोडक्ट कम्पनियों द्वारा विज्ञापन का प्रयोग जनता को भ्रमित करने के लिए किया जाता है। उनके प्रोडक्ट के सम्बन्ध में विज्ञापनों में सच्चाई के स्थान पर मिथ्य गुणों का वर्णन किया जाता है। जिस कारण भोली भाली जनता सरलता से भ्रमित हो जाती है।
आश्चर्य की बात है कि इन भ्रमित विज्ञापनों के खिलाफ कोई कड़ी कार्यवाही भी नहीं की जाती है।
महोदय, प्रावधानों के अनुसार भ्रामक विज्ञापन छापे जाने के अपराध में पहली बार में 10 लाख रुपए का जुर्माना एवं दो साल तक की जेल की सजा है। दूसरी बार यही अपराध किए जाने पर 50 लाख रुपए तक का जुर्माना एवं पांच साल तक की जेल दी जा सकती है।
अतः आपके समाचार के माध्यम से सरकार से मेरा अनुरोध है कि इस प्रकार के भ्रामक विज्ञापनों के प्रति सख्त कार्यवाही का निर्णय लिया जाए। तथा जनता को यह संदेश है कि वह इन भ्रामक विज्ञापनों के प्रति अपनी आवाज उठाएं।
सधन्यवाद।

भवदीय,
नीरज तिवारी।
लखनऊ।

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