मित्र को उसकी माता जी की मृत्यु पर संवेदना पत्र लिखिए।

25/4 सुभाष नगर,
नई दिल्ली।

प्रिय मित्र गौरव,

अभी कुछ दिन पहले ही मुझे तुम्हारा पत्र मिला। पत्र में तुम्हारी पूज्य माता जी के स्वर्गवास का शोक समाचार पत्र पढ़कर काफी तकलीफ हुई। जब तुम छोटे ही थे, तभी तुम्हारे पिताजी की भी मृत्यु हो गई थी। तब तुम्हारी माता जी पर ही समस्त परिवार के पालन पोषण का भार आ गया था। अनेक कष्ट सहन करके भी उन्होंने तुम्हारे अध्ययन को जारी रखा। मैं तो सपने में भी यह विचार नहीं कर सकता था कि तुम्हारे सिर से उनकी स्नेह छाया इतनी जल्दी उठ जाएगी।

मित्रवर समय बड़ा बलवान होता है। विधि के विधान को कोई नहीं रोक सकता है। जन्म और मरण ईश्वर के हाथ में होता है। ऐसे में विपत्ति में धैर्य ही व्यक्ति का सबसे बड़ा सहायक होता है। इसलिए तुम संयम रखते हुए अपना काम जारी रखो। ईश्वर से प्रार्थना है कि वह तुम्हें असीम धैर्य और इस परिस्थिति को सहने की शक्ति प्रदान करें। साथ ही भगवान आपकी माता जी की आत्मा को शांति दे।

अब छोटे भाई बहनों का समस्त भार भी तुम्हारे कंधों पर है। वह अभी इतने बड़े नहीं हुए हैं कि बिना माता-पिता के अपने जीवन का कोई भी फैसला स्वयं कर सकें, ऐसे में उनके भविष्य को संवारने की जिम्मेदारी भी अब तुम पर ही है। साथ ही तुम्हें खुद को भी संभालना है। अंतत इस समय तुम्हें सूझबूझ से काम लेने की आवश्यकता है, तभी तुम इस दुख की घड़ी से बाहर निकल सकोगे। मैं शीघ्र ही तुमसे मिलने आऊंगा। लेकिन यदि तुम्हें कभी कोई समस्या हो या किसी प्रकार की कोई मदद चाहिए हो, तो अपने इस दोस्त को याद करना नहीं भूलना। दोस्त तुम अकेले नहीं हो, मैं और तुम्हारे भाई बहन हमेशा तुम्हारे साथ हैं। आशा करता हूं कि ईश्वर तुम्हें इस कठिन परिस्थिति से उबारने में तुम्हारी मदद करें।

तुम्हारा प्रिय मित्र,
संदीप।

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