अर्जुन छात्रावास,
दिल्ली
दिनांक :- 16/04/20**
श्री पूज्य पिताजी,
सादर प्रणाम।
मैं यहां पर कुशल हूं। आपको भी सर्व प्रकार से कुशल और प्रसन्न देखना चाहता हूं। पूज्य पिताजी, आपने समाचार पत्र के माध्यम से पढ़ा ही होगा कि आजकल यमुना नदी में भयंकर बाढ़ आई हुई है। बाढ़ के कारण आस पास के पचासों गांव जलमग्न हो गए हैं। जिस कारण अनेक लोग और जानवर बाढ़ में डूबकर समाप्त हो चुके हैं। कई लोगों का तो घर, दुकान इत्यादि सब बाढ़ के कारण बर्बाद हो गया। और कुछ लोगों के तो परिवार वाले ही इस भीषण बाढ़ के सैलाब में बह गए। ऐसे में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में सरकारी सुविधा भी देर से पहुंच पा रही है। जिस कारण लोगों की जिंदगी बचाना एक चुनौती बन गई है।
हालांकि इस प्रलयंकर बाढ़ के कारण गांव के लोग कुछ तो बचकर बाहर आ गए, लेकिन कुछ लोग पक्के घरों की छतों और कुछ ऊंचे पेड़ों पर शरण लिए हुए हैं। उनकी स्थिति दिन प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है। ऐसे में इन बाढ़ पीड़ितों की सेवा के लिए शिक्षा विभाग की ओर से क्षेत्र में शिविर लगाया गया है। जहां हमारे विद्यालय के पांच अध्यापकों की देख देख में बीस छात्रों का समूह वहां जाने वाला है। मैंने भी जिसमें अपना नाम दिया है। मैं भी वहां जाकर बाढ़ से पीड़ित लोगों की मदद करना चाहता हूं।
इसलिए आपसे अनुरोध है कि आप मानवता की सेवा के इस पुण्य कार्य में सहयोग देने हेतु मुझे जाने की आज्ञा प्रदान करें। ताकि मैं लोगों की मदद करके पुण्य कमा सकूं। जिसके लिए आपकी आज्ञा पाकर ही मैं स्वयं को कृतार्थ समझूंगा। आपकी स्वीकृति की पत्र के माध्यम से प्रतीक्षा रहेगी।
पूज्य माता जी को मेरा प्रणाम कहिएगा और मेरी छोटी बहनों को मेरा दुलार दीजिएगा।
आपका प्रिय पुत्र,
रमेश।