C-12,
चेतन कॉलोनी,
सितारगंज।
दिनांक…..
प्रिय मित्र,
सतेंद्र जैन।
आशा करता हूं कि आप सकुशल होंगे। गत सप्ताह मुझे आपका पत्र मिला था जिसमें आपने अपने बचपन के अनेक किस्सों का उल्लेख किया था। आज मैं आपको अपनी बहादुरी के कारनामों के बारे में बताना चाहता हूं। चार माह पहले मेरे पड़ोस के एक घर में अचानक भयंकर आग लग गई थी। जिसमें केवल एक बूढ़ी महिला थी। पड़ोसियों ने मिलकर फायरब्रिगेड को सूचित कर दिया था, परंतु समय पर ना आने के कारण आग बढ़ती ही जा रही थी। मै अपनी बिल्डिंग से अग्निशामक यंत्र निकाल कर लाया व उस घर में अग्निशामक यंत्र से आग बुझाने का प्रयास किया। इस प्रयास से आग में कमी आई व मैंने अपने साथी पड़ोसी के साथ मिलकर उन बूढ़ी महिला को घर से बाहर निकाल लिया। मेरी यह बहादुरी देखकर समस्त पड़ोसियों ने मेरी प्रशंसा की। तथा बूढ़ी महिला ने भी आभार व्यक्त किया। इसी प्रकार ऐसे अनेक किस्से है जो मेरी बहादुरी को प्रदर्शित करते है।
उम्मीद करता हूं कि यह कारनामा सुनकर आपको भी मुझ पर गर्व होगा।
सधन्यवाद।
आपका स्नेही मित्र,
अतुल,
वाराणसी।