A-1 आर्य गली,
सिद्धार्थनगर,
बरेली
दिनांक…
सेवा में,
संपादक महोदय,
अमर उजाला प्रेस,
बरेली
विषय- अपनी कविता को प्रकाशित कराने हेतु।
महोदय,
सविनय निवेदन इस प्रकार है कि मेरा नाम अजय सिंह है व मैं रूहेलखंड विश्वविद्यालय में बी. ए. प्रथम वर्ष का छात्र हूं। मेरी कविता लेखन में विशेष रुचि है। विद्यालय स्तर पर मैंने अनेक कविता लेखन प्रतियोगिताओं में भाग लिया तथा प्रथम स्थान प्राप्त किया है।
मेरी कविताओं का विषय देश की विभिन्न गतिविधयों से संबंधित रहता है। गत माह मेरी कविता का प्रकाशन दैनिक जागरण समाचार में भी प्रकाशित हुआ था। इस वर्ष मैं अपनी कविता आपके समाचार पत्र में प्रकाशित कराना चाहता हूं। मेरी कविता का विषय- ‘मुक्तदायिनी मां गंगा’ है। यह कविता मैं पत्र के साथ आपको प्रेषित कर रहा हूं।
आपसे अनुरोध है कि मेरी काव्य प्रतिभा को निखारने में सहयोग देने हेतु व मेरे विचारों को देश के अन्य लोगों तक पहुंचाने हेतु मेरी इस कविता को अपने अखबार में प्रकाशित करके मुझे कृतार्थ करें।
आपकी अति कृपा होगी।
सधन्यवाद।
भवदीय,
अजय सिंह।
संलग्न
कविता की प्रति।
जो सोच रखा है वो जरूर होगा
हमारा आशियाना तो अब
चांद के साउथ पोल ही होगा
रख कर कदम चांद के साउथ पोल पर
नया इतिहास बना देंगे
और जिन जिनको सक था हमारी
काबिलियत पर उनको गवा बना देंगे
सितारे भी झूम उठेंगे इस काम से
जब साउथ पोल पर झंडा फहराएंगे हिंदुस्थान के नाम से
एक अलग ही पहचान बना देंगे संपूर्ण जहान से
पूरी दुनिया नारे लगाएगी भारत के नाम से
हमारी काबिलियत तुमको चंद्रयान 3बताएगा
ए चांद तू कब तक नखरे दिखाएगा भारत तेरा आशिक है तुझसे मिलने फिर से आएगा
“सावन कि संध्या ”
सावन की संध्या की छटा निराली
दिन की गर्माहट को हरने वाली
सूर्य की चमक कम हो जाती विश्राम शांति मन में बस जाती
पक्षी खूब शोर मचाते
सूरज की लालिमा काम हो जाती
खेत खलियान खूब लहराते
सावन की संध्या को मोर नाच दिखाते
बच्चे खेलकर घर को लॉट आते
सावन की संध्या में जब बारिश आती
सबके मन को भा जाती
बारिश किसानों की आसाओ को जगाती
धरती सुंदर गज़ल सुनाती
सांझ के बादल की घटा निराली
सावन की संध्या की छटा निराली