गली नंबर-5
शास्त्री नगर,
बरेली।
दिनांक -……
आदरणीय संतोष गुप्ता जी,
आपको सादर नमस्कार।
कल मेरे दफ्तर में मुझे मेरी खोई हुई पुस्तक वापस करके आपने मुझ पर बहुत उपकार किया है। गत दो दिनों से मैं अपनी इस पुस्तक के खोने से बहुत परेशान था। घर से दफ्तर के रास्ते में ही यह पुस्तक मुझसे खो गई थीं। इस पुस्तक पर मेरा नाम व मेरे दफ़्तर के पते की चिट लगीं हैं। मैंने तो उम्मीद ही छोड़ दी थी कि यह पुस्तक मुझे वापस भी मिल पाएंगी। किन्तु आज जब इस पुस्तक को मैंने अपने बैंच पर रखा देखा तो मुझे बहुत आश्चर्य हुआ और साथ ही प्रसन्नता भी हुई। यह पुस्तक मेरे लिए अमूल्य हैं क्योंकि यह मुझे मेरे पिताजी ने मेरे जन्मदिन पर अब से 20 वर्ष पूर्व मुझे उपहार स्वरूप भेंट की थी। इस पुस्तक के साथ मेरी बहुत स्मृतियां जुड़ी है। बाज़ार में अब इस पुस्तक का मिलना मेरे विचार से नामुमकिन होगा।
मुझे बेहद प्रसन्नता हुई कि आप जैसे ईमानदार व्यक्ति समाज में अभी भी उपस्थित हैं। मै आपका आभार मानता हूं जो आपने अपना बहुमूल्य समय निकालकर मेरी खोई हुई पुस्तक मुझे वापस की।
आपका पुनः धन्यवाद।
आपका शुभकांक्षी
देवेन्द्र पाठक