हिंदी में पत्र कैसे लिखें ?

पत्रों के माध्यम से न सिर्फ अपनी बात को किसी दूसरे तक पहुंचाया जा सकता है बल्कि इसके जरिए हम अपनी भावनाओं और विचारों को आसानी से व्यक्त कर सकते हैं। पत्रों की जगह आज भले ही कंप्यूटर, मोबाइल और इंटरनेट ने ले ली हो, लेकिन आज भी यह अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का और अभिव्यक्ति का एक सशक्त माध्यम है।

आपने बहु प्रचलित फिल्मी गाना सुना होगा – “कबूतर जा..जा….जा….. पहले प्यार की पहली चिट्ठी साजन को दे आ।” यही चिट्ठी ही पत्र है जो मन की बात कागज़ के छोटे टुकड़े पर लिखकर दूसरे तक पहुँचाने का कार्य करती है। इसमें मन के भावों या विचारों को संदेश के रूप में लिखा जाता है और किसी संदेश वाहक द्वारा या डाक द्वारा भेजा जाता है। आपने भी बहुत से लोगों को पत्र लिखे होंगे,

जैसे: माता-पिता को, किसी मित्र या रिश्तेदार को, किसी अखबार के संपादक को या किसी और को। क्या आप जानते हैं कि पत्र-व्यवहार का संबंध केवल इतने ही लोगों से नहीं है। इसका क्षेत्र बहुत व्यापक और विस्तृत है।

हिंदी में पत्र कैसे लिखें – पत्र लिखने के लिए ध्यान देने योग्य बातें – Things to Know about Letter Writing

पत्र लिखने के लिए नीचे दी गई बातों का ध्यान देना चाहिए जो कि इस प्रकार हैं –

  • पत्र लिखने के लिए सबसे पहले इस बात का ध्यान देना चाहिए कि, जिसके लिए भी पत्र लिखा जा रहा है, उसके लिए सम्मान और शिष्टाचार और आदर पूर्ण शब्दों का इस्तेमाल करना चाहिए।
  • पत्र में भावनाओं को ऐसे व्यक्त करना चाहिए, जिसके भाव देखकर इसका प्रभाव पाठक पर पड़ सके।
  • पत्र में लिखी गई भाषा बेहद सरल, और स्पष्ट होनी चाहिए ताकि पाठक को आसानी से समझ में आ सके।
  • पत्र में मुख्य विषय के बारे में ही लिखना चाहिए, अनावश्यक बातों को पत्र में नहीं लिखना ही बेहतर है।
  • पत्र लिखने के बाद उसे दोबारा जरूर पढ़ना चाहिए, ताकि उसमें की गई गलती को सुधारा जा सके।
  • पत्र लिखते वक्त इस बात का जरूर ध्यान रखना चाहिए कि पत्र आप किस आयु के व्यक्ति के लिए लिख रहे हैं, उससे आपका क्या संबंध है और उसकी योग्यता क्या है, उसी के आधार पर पत्र में शब्दों का चयन करना चाहिए।
  • पत्र को प्राप्त करने वाले और भेजने वाले का पता साफ लिखना चाहिए, ताकि पता सही जगह पर भेजा जा सके और प्राप्त किया जा सके।
  • पत्र ऐसा होना चाहिए जिसे पढ़कर पाठक को किसी तरह का संदेह नहीं रहे, तभी पत्र लेखन का उद्देश्य पूरा होता है।

अच्छे पत्र की खासियत – Specialty of good Letter

अच्छे पत्र की खासियत नीचे दी गई है –

(1) प्रभावशीलता- पत्र ऐसे होने चाहिए जो पाठकों को प्रभावित कर सके, पत्र में विचारों को प्रभावशील ढंग से प्रस्तुत करना चाहिए।

(2) विचारों की स्पष्टता – पत्र में लेखक के विचार स्पष्ट होने चाहिए ताकि पाठक को आसानी से समझ में आ सके।

(3) संक्षिप्त और सम्पूर्ण – पत्र छोटा और संपूर्ण होना चाहिए। उसमें मुख्य बातें ही लिखी जानी चाहिए।

(4) आसान भाषा – पत्र में आसान और सरल भाषा का इस्तेमाल करना चाहिए, ताकि आसानी से समझा जा सके।

(5) बाहरी सजावट – लिखावट साफ, सुंदर और स्पष्ट होनी चाहिए, पत्र लिखने के लिए अच्छे कागज का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। लिखते वक्त व्याकरण का भी उचित ध्यान दिया जाना चाहिए।

(6) शुद्धता और स्वच्छता – साफ-सुथरे कागज पर सफाई के साथ पत्र लिखना चाहिए।

(7) विनम्रता और शिष्टता – पत्र में शिष्टता और विन्रमता का खास ख्याल रखना चाहिए, हमेशा आदरपूर्ण और सम्मान पूर्ण शब्दों का इस्तेमाल करना चाहिए, और पत्र लिखते वक्त यह ध्यान रखें कि इससे किसी भी भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचे।

(8) सद्भावना – सद्धभावपूर्ण पत्र लिखना चाहिए, शिकायती पत्र लिखते वक्त भी उसमें असद्धावना प्रकट नहीं होनी चाहिए।

(9) सहज और स्वाभाविक शैली – पत्र में आसान भाषा का इस्तेमाल करना चाहिए, ताकि पाठक को आसानी से समझ में आ सके, कठिन शब्दों के इस्तेमाल से बचना चाहिए।

(10) क्रमबद्धता – पत्र-लेखन में क्रमबद्धता बेहद जरूरी है, मुख्य बातों को पहले लिखा जाना चाहिए। वहीं आखिरी में लिखी जाने वाली बातों को बाद में लिखना चाहिए।

(11) विराम चिह्नों का खास ध्यान – पत्र लेखन में उचित स्थान पर विराम चिन्हों का इस्तेमाल करना चाहिए।

(12) उद्देश्यपूर्ण – पत्र में महत्वपूर्ण बातें लिखनी चाहिए और इस तरह लिखनी चाहिए कि जिससे पढ़ने वाली की जिज्ञासा शांत हो जाए।

पत्र-लेखन के प्रकार

आप जानते होंगे कि आप जिस तरह अपने दोस्तों को पत्र लिखते हैं, अपने समन्वयक को ठीक उसी तरह नहीं लिखते। अपने दोस्त को आप ‘प्रिय’ से संबोधित करते हैं तथा अपने कार्यक्रम समन्वयक के लिए ‘महोदय’ संबोधन का प्रयोग करते हैं। इसके अलावा दोस्त को पत्र लिखते समय आप उसके परिवार के लोगों का हाल-चाल पूछते हैं और अपने परिवार के लोगों के बारे में बताते हैं, लेकिन अपने समन्वयक को पत्र लिखते समय उनके परिवार के सदस्यों के बारे में नहीं पूछते, न अपने परिवार का हालचाल बताते हैं। इस तरह की अन्य बहुत-सी बातें हैं, जहाँ हमें अंतर करना होता है। आइए, इस अंतर को समझने से पहले पत्रों के प्रकारों के बारे में जान लें।
हम जितनी भी तरह के पत्र लिखते हैं, उन्हें सुविधा के लिए दो वर्गों में रख सकते हैं।

क) अनौपचारिक पत्र
ख) औपचारिक पत्र

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