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वैष्णवों के अनुसार शालिग्राम 'भगवान विष्णु का निवास स्थान' है और जो कोई भी इसे रखता है, उसे प्रतिदिन इसकी पूजा करनी चाहिए।
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इस पत्थर को भगवान विष्णु का स्वरूप मानकर पूजा जाता है।
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शालिग्राम दुर्लभ होते हैं, जो हर जगह नहीं मिलते।
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ज्यादातर शालिग्राम नेपाल के मुक्तिनाथ क्षेत्र, काली गंडकी नदी के तट पर ही पाए जाते हैं।
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शालिग्राम कई रंगों के होते हैं। लेकिन सुनहरा और ज्योति युक्त शालिग्राम सबसे दुर्लभ माना जाता है।
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शास्त्रों के अनुसार, शालिग्राम 33 प्रकार के होते हैं जिनमे से 24 प्रकार को भगवान विष्णु के 24 अवतारों से जोड़ा जाता है।
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भगवान विष्णु के विग्रह रूप के रूप में शालिग्राम को ही पूजा जाता है।
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शालिग्राम गोल है, तो वह भगवान विष्णु का गोपाल रूप होता है और मछली के आकार में है, तो उसे मत्स्य अवतार का प्रतीक माना जाता है।
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अगर कछुए के आकार में शालिग्राम है, तो उसे कुर्म और कच्छप अवतार का प्रतीक माना जाता है।
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शालिग्राम पर उभरे हुए चक्र और रेखाएं विष्णु जी के अन्य अवतारों और रूपों का प्रतीक मानी जाती हैं।
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